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मिश्रबंधु

मिश्रबंधु-विनोद सं० १९७१ ग्रंथ-(1) वीणा-झंकार, ( २ ) पद्य-प्रसून, (३) पद्य- संग्रह, (४) खरा सोना, (१) जीवन ज्योति, (६) लीला, (७) आशा पर पानी, (८) दुरंगी दुनिया, (१) रमणी, (१०) सावित्री, (११) महावीर, (१२) सती पंचरत्न, (१३) आदर्श सम्राट आदि० पुस्तकें । विवरण—यह मैथिल ब्राह्मण पं० कुलानंद झा के पुत्र हैं। १६६७ में पटना-नार्मलस्कूल की परीक्षा में उत्तीर्ण हुए, और इनका स्थान संपूर्ण प्रांत के छात्रों में प्रथम रहा । अाजकल जमालपुर- रेल्वे स्कूल में अध्यापक हैं । हिंदी के अतिरिक्त इन्होंने संस्कृत, अंगरेज़ी, बँगला, उर्दू तथा मराठी भाषाओं में भी ज्ञान प्राप्त किया है । साहित्य-रचना अच्छी करते हैं। उदाहरण-(शुद्ध प्रेम से नीचे गिरा हुआ प्राश्रित प्रेम) अर्चना मुझे पाँव से ठुकराते क्यों प्रियतम प्राणाधार तुम्हें छोड़कर कौन करेगा अब मेरा उद्वार । बाँह गह क्यों अपनाया था ? सुझे अनुचरी बनाया था। मान लिया सेवा में मुझसे भूलें हुई अनेक ; पर मैं किसको देख बचगी करते नहीं विवेक । तुम्हारा सहारा जगत में कौन हमारा तेरे पीछे पिता सहोदर माता पुत्र प्रधान पद-पद पर वे नाथ ! करेंगे सब मेरा अपमान । कहाँ कैसे रह पाऊँगी; साथ ही तेरे जाऊँगी। . एक . ।