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मिश्रबंधु

मिश्रबंधु-विनोद सं० 180" जन्म-काल-सं० ११४४ रचना-काल-सं० १९७१ । ग्रंथ-(१) दुखहरन द्वादशी, (२) शक्ति-शतक, (३) शंकर- हृदय, (४) स्फुट छंद। विवरण-पंडित वंशगोपाल शुक्ल के पुत्र । पं० गयाप्रसाद ऐडवोकेट, रायबरेली अापके ज्येष्ठ भ्राता हैं । स्वयं श्राप अवध में सब-जज और हमारे मित्र हैं। अापके उद्योग से सरस्वती-सदन- नामक पुस्तकालय, रायबरेली में स्थापित हुअर । वह शारदा-सदन नास से अब भी चल रहा है। सुकवि हैं। इनकी स्त्री भी कवयित्री हैं। उदाहरण- भामिनि महेश की है दाहिनि सदाई मेरे , जारै अरि पाप भाल-ज्वाल श्रीमहेश की। गोद में महेश की मिलैहैं सघ मोद मोको, प्यावै है पियूष शशिकला श्रीमहेश की। करना महेश की कृतार्थ करती है मोहिं , भावत सतत कल कीर्ति श्रीमहेश की; कविता महेश की करौं मैं नाम शंकर ले बसै मन माहिं मंजु मूर्ति श्रीमहेश की। नाम-(३६६५) मक्खनलाल शास्त्री। अंथ-(१) पंचाध्यायी टीका, (२) तत्त्वाथ राजवार्तिक । विवरण-श्रापका जन्म-स्थान चखली-ज़िला आगरा है। श्राप जैन-धर्मावलंबी प्रसिद्ध हिंदी-लेखक हैं। नाम-(३६६६) रामनरेश त्रिपाठी । जन्म-काल-सं० ११४६, जौनपुर-जिले के कोइरीपुर ग्राम में । १