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मिश्रबंधु

सं० १९७१ उन्तर नूतन विवरण- यह हिंदी, उर्दू, अँगरेज़ी तथा संस्कृत भाषा के अच्छे ज्ञाता हैं । इनके अतिरिक्त गुजराती, बँगला, मराठी श्रादि प्रांतीय भाषाएँ भी जानते हैं । यह कुछ काल तक फतेहपुर में रहे, और वास्तव में यहीं से इनमें साहित्यिक अभिरुचि. उत्पन्न हुई। ग्रंथ-(१) कविता-कौमुदी (चार भाग), (२) पथिक (खंड काव्य), (३) मिलन हिंदी-पद्य-रचना, (४) हिंदी का संक्षिप्त इतिहास, (५) ग्राम-गीत, (६) राम-चरित-मानस (टीका), (७) हिंदी शब्दकल्पद्रुम (कोष ), (८) नीति-रत्नमाला (तीन खंडों में), (१) लक्ष्मी (उपन्यास), (१०) पृथ्वीराज चौहान (जीवन-चरित्र ), (११) हिंदी-महाभारत, (१२) उत्तर ध्रुव की भयानक यात्रा (अंगरेजी उपन्यास का अनुवाद), (१३) श्रानंद- वीणा आदि । इनका 'पथिक खड़ी बोली का एक खंड कान्य है, और इसी काव्य से इन्होंने अपनी प्रतिमा का अच्छा परिचय दिया है। हिंदी के प्रचार-कार्य में भी इन्होंने अच्छा योग दिया है। पंडितजी हमारे मित्र और हिंदी के भारी विद्वान् तथा लेखक हैं। विविध विषयों पर आपने अच्छा प्रकाश डाला है। आपका हिंदी- संबंधी श्रम परम स्तुत्य है। राजनीतिक कार्य में आप जेल भी जा चुके हैं। हिंदी के श्राप परमोत्कृष्ट कवि तथा लेखक हैं। नाम--(३६६७) ललितकुमारसिंह 'नटवर', महुआर ग्राम, शाहाबाद, (बिहार-प्रांत)। जन्म-काल-सं० १९५५ । रचना-काल-लगभग सं० १९७१ । ग्रंथ-(१) ललितराग-संग्रह, (२) गुलाल (होली-सुधार की कविताएँ ), (३) चतुर चर (स्काउटिंग ), (४) नादर्श शासन, (६) बांसुरी (कविता)।