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मिश्रबंधु

४०८ . मिश्रबंधु-विनोद सं० १९७५ नवल नायिका-सी रस-भीनी नौका जो मदमाती है छाती फूली हुई पालकी झड़क हर्प से जाती है। सलिल बीवि पर मौज उड़ाती इतराती लहरी उपर; कर पतवारों से पानी से इधर-उधर से छप-छप कर । नाम-( ३६८३ ) गौरीशंकर द्विवेदो (शंकर), टीकमगढ़ । जन्स-काल-लगभग सं० ११५०1 रचना-काल-सं० १९७५ । ग्रंथ-बुंदेलखंड के कवि और लेखक ( असुद्रित)। विवरण-ग्रंथ बड़ा और उपयोगी है । टीकमगढ़ में श्राप पोस्ट-मास्टर हैं। खड़ी बोली में अच्छी कविता करते हैं । श्रमशील हिंदी-प्रेमी सज्जन हैं। नाम - ( ३६८४ )जगद्विहारो सेठ । जन्स-काल-सं० १९५०। थ-(१) प्राचीन भारत के उपनिवेश, (२) वाटरलू का युद्ध, ( ३ ) प्राकृतिक दृश्य, ( ४ ) बंबई प्रांत का पर्यटन, (५) बस विहीन लंदन, (६) पदार्थ किल प्रकार बना है, (७) बिजली के लैंप, (5) बिजली की चालक शक्ति । विवरण–बाबू कुंजविहारी सेठ रिटायर्ड जज के पुत्र तथा लाहौर- गवर्नमेंट-कॉलेज में भौतिक विज्ञान के अध्यापक हैं। आप विलायत . से पास करके आए हैं, और आई० ई० एस० श्रेणी में । आपके ग्रंथों द्वारा उपयोगी विषयों पर समाज की ज्ञान-वृद्धि होती है। आपका परिश्रम श्लाघ्य है। नाम-(३९८५) ठाकुरदास जैन बी० ए०, तालबेहट ( माँसी)। जन्म-काल-सं० १९५४ । कविता-काल-सं० १९७५