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मिश्रबंधु

-१७१०। नाम- मिश्रबंधु-विनोद विवरण-ये राजा शाहजी के दरवारी कवि थे। उनके गुण-गान में इन्होंने फुटकर छंद लिखे। नाम-(398) गयंद कवि और र सुधार कवि, महाराष्ट्र-प्रांत । ग्रंथ-स्फुट। कविता-काल- विवरण-ये दोनो राजा शाहजी के दरबारी कवि थे। गयंद कवि के नाम का उल्लेख सूदन कवि ने 'सुजान-रासो' में किया है। नाम-(३३) चतुरद ठाकुर, महाराष्ट्र-प्रांत । ग्रंथ स्फुट । कविता-काल-सं० १७१० । विवरण-यह राजा शाहजी के दरबारी कवि थे। -(33) बलभद्र कवि, महाराष्ट्र देश । कविता-काल- विवरण-श्राप राजा शाहजी के यहाँ एक दरबारी कवि थे। आपको राजा शाहजी ने पारितोषिक में एक हाथी दिया था । इस कवि का वर्णन यों पाया जाता है-- एक बड़ो बलभद्र कवि रह्यौ शाह के साथ 3; उहु गज नृप के प्रीति को लेन लगायो हाथ । आपकी समस्या-पूर्ति में कवि जयरामजी ने राजा शाहजी का मीर जुमला से युद्ध होने का इस प्रकार वर्णन दिया है- बीस सहस असवार वर मिर जुमला के संग ; जंग करत रण रंग मों उन्ह यों पायो भंग । नाम-(३३४) विश्वंभर भट्ट, महाराष्ट्र-प्रांत । ग्रंथ-स्फुट। कविता-काल-सं० १७१० । विवरण-इन्होंने अपने आश्रयदाता राजा शाहजी की तिलंगाना,