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मिश्रबंधु

नाम- ६२० मिश्रेयंधु-विनोद सं० १६. विवरण--आप भारतेंदु बाबू हरिश्चंद्रजी के कनिष्ठ भ्रासा गोकुलचंदजी के ज्येष्ठ पुत्र थे। इन्होंने अपने व्यय से ही भारतेंदु, नाटक-मंडली स्थापित की, जो अपना कार्य अभी तक भली भौति कर रही है । श्रापका वाल्मीकीय पद्यानुवाद विशेषतया रोला छंदों में है। इनका साहित्य ब्रज-भाषा में है, किंतु उसमें संस्कृत-शब्दों का अत्यधिक प्रयोग है। -(४००६) गोवर्धनलाल (लाला) बसौदा, ग्वालियर। जन्म-काल-सं० १६३६ । ग्रंथ-(१) पूर्ति-प्रमोद, (२) साहित्य-भास्कर, (३) नगदवन ( नागदमन)। नाम-(४.०६ अ) गोविंददास व्यास (सनाढ्य ब्राह्मण) ताल बेहट ( झाँसी)। जन्म-काल-सं० १९५७ । कविता-काल-सं० १९७६ । ग्रंथ-(१) शिव-शिवा-स्तवन, (२) सीता-निर्वास, (३) कृष्ण-चरित्र, (४) जीवन के चार दिन, (५) पुत्र की गर्दन, (६) लोहू का छूट, (७) परीक्षित-शाप, (८) श्रीकृष्ण-जन्म, (१) वृदावन-वास; (१०) गोवर्धन-लीला, (११) रास-क्रीड़ा मथुरागमन, (१२) उग्रसेन का राजतिलक, (१३) द्वारिका-वास, [१४) मणि-चरित्र, (११) ऊषा-अनिरुद्ध, (१६) योगिराज । उदाहरण- हिमागार शिखरस्थ बट शीत सायो, परम रम्य जन-शून्यं कैलास भाया। सुखासीन बामांग शैलात्मजा हैं, सुमाथे प्रवाहित सुदेवापगा है।