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मिश्रबंधु

सं. १९६१ उत्तर नूतन . नमो भूतनाथं नमो रौद्ररूप, नमो सौख्य-सिंधु नमो देवभूपं . नमो कर्कपाल नमो कामकालं, नमो विश्वनाथं नमो शत्रुशालं। नाम-(४.०७) चंद्रशेखर मिश्र, चंपारन । ग्रंथ-(१) संपादक विद्याधर्म-दीपिका, (२) रनमाला, चंपारन । विवरण-सुलेखक हैं। नाम-(४००८) चंपालाल जौहरी (सुधाकर ), रामगंज, खंडवा। रचना-काल-सं० १९६१ । प्रथ-(१) माधवी कंकण, (३) वियोगिनी, (३) शिक्षकों का कर्तव्य आदि = पुस्तके आपने बनाई हैं। नाम-(४००६) जयपाल ब्रह्मभट्टा जन्म-काल-सं० १९२२। रचना-काल-सं० १६६१ ग्रंथ-रसिक-प्रमोद (१९६१) । विवरण- आप सूजा-ग्राम, जिला मुंगेर-निवासी शंभु महाराज के पुत्र हैं। कवि-वंशी हैं तथा समय-समय पर स्फुट कविताएँ रचा करते हैं। उदाहरण--- मति प्रीति के छंदन माहिं परो पग मारग दुःख बढ़ावनी है। पथ भाहिं बिछाय के पावक को चदि मोम-तुरंग पै धावनो है। मनसूर के ऐसे जो सूलि चढ़े नहि ताहु पै नेक डरावनो है जयपाल जु ताते बिचारि कहैं कछु नीको न नेह लगावनो है। -(४०१०) नारायणजी पुरुषोत्तम ( लांत)। 1 .: नाम--