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मिश्रबंधु

मिश्रबंधु-विनोद सं. १९६२ सभासद् रह चुके हैं। (बाबू गिरीदनारायणसिंह, चंदनपट्टी, मुज़- फरपुर द्वारा ज्ञात)। उदाहरण- कान वही जो सुनै हरिगान, औ ज्ञानी वही जो भजे यदुराई प्रीति वही जो सदा निबहै, अरु संत वही जो तजै ममताई। द्रव्य वही जो उठे परमारथ, नेत्र वही जो तक न दुराई; 'कीर्तिनरायन' हाथ वही, जो करै सद ही अनदान उठाई। नाम---(४०१६ ) गौरीशंकरप्रसाद बी० ए०, एल-एल० बी०, वैश्य, वकील, बुलानाला, बनारस । जन्स-काल-अनुमान से सं० १९४० । मंथ-स्फुट लेख, योरप-यात्रा (तीन लेखक मिलकर )। विवरण --आप कई वर्षों तक नागरी-प्रचारणी सभा के मंत्री रहे हैं । हिंदी के श्राप बड़े शुभचिंतक और उत्साही पुरुष हैं। नुनारस में वकालत करते हैं। आप हमारे प्राचीन मित्र हैं। नाम-(४०२०) चतुरसिंह रूपाहेली, मेवाड़, राजपूताना। ग्रंथ-(१) चतुर-कुल चरित्र, (२) खगोल-विज्ञान, (३) सोरता-संग्रह। विवरण-श्राप एक प्रतिष्ठित लेखक हैं। -(४०२१) छेदा साह, सैयद पौहार, जिला कानपुर । जन्म-काल--सं० १९३७ । ग्रंथ-(१) काव्य-शिक्षा, (२) भगवद्गीता की टीका, (३) हरगंगा-रामायण, (४) ज्ञानोपदेश-शतक, (५) भकि- पंचाशिका, (६) करुणा-बत्तीसी, (७) नारी-गारी, (८) गंगा- पंचाशिका, ( 2 ) माऊंडेय-वंशावली, (१०) कृष्ण-प्रेम-पचीसी, (1) कान्यकुब्ज-पुष्पांजलि, (१२) काव्य-संग्रह, (१३ ) सत्य- नारायण, (१४) जान पांडे उपन्यास, (११) हितोपदेश ।