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मिश्रबंधु

प्राचीन कविगण कलिंग, कर्नाटक आदि की चढ़ाइयों का 'अमृतध्वनि और 'कलसा' छंदों में वर्णन किया है। उदाहरण- अद्भुत नरपति शाह, देखि तुव प्रबल बाहुबल ; मजत जित तिताजत और समेत शत्रु दल ! नाम-(३६५)नघुनंदन, महाराष्ट्र-प्रांत। ग्रंथ-स्फुट । कविता-काल-सं० १७१० । विवरण-यह राजा शाहजी के दरबारी और ब्रजभाषा के कवि थे। नाम- (35) रघुनाथ व्यास, महाराष्ट्र प्रांत । ग्रंथ-फुटा कविता-काल-सं० १७१० । विवरण-यह राजा शाहजी के दरबारी कवि थे। जयराम कवि ने इनकी समस्या- -पूर्ति इस प्रकार की थी- वालम की बाट लखें बार-बार बावरी-सी, बैरिन की बधू फिरै बेरन के बन मैं नाम-(३८६) शिवदास ठाकुर, महाराष्ट्र प्रांत । 'थ-स्फुट। कविता-काल-सं० १७१० । विवरण- -यह राजा शाहजी के दरबारी कवियों में थे। नाम-(३६६ ) श्याम गुसाई, महाराष्ट्र-प्रांत। । ग्रंथ-स्फुट। कविता-काल-सं० १७१० । विवरण- [---यह राजा शाहजी के दरबारी कवि थे। इनके इस दोहे को "श्याम सुसाई यों कही, अंबा तोहि लहाय ; अर्थ चित्र कछु कदि कहो, जापर रीमैं शाह ।"