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मिश्रबंधु

मिश्रबंधु-विनोद सं० १९६२ थे। आपसे हिंदी-सहायता की बड़ी प्राशा थी । शोक है, थापका असमय देहांत हो गया। नाम-(४०६२) चंद्रलाल गोस्वामी। जन्म-काल-लगभग सं० १९४० । गंथ- स्फुट पद। विवरण-राधावल्लभीयाचार्य । नाम-( ४०६३ ) चंद्रिकाप्रसाद मिश्र 'चंद्र' मुरार, ग्वालियर- निवासी। जन्म-काल-सं० १९४० । रचना-काल-सं० १९६५ । ग्रंथ-स्फुट रचना। उदाहरण- कृष्णा कालिंदी का कल-कल विहग द कलरव स्वरधार : ललित-लताओं का वह झुरमुट त्रिविधि समीरण का संचार । वृक्ष-वल्लियों का सम्मेलन कोकिल कूजित कलित निकुंज ; सरस सुंगध-सनी सुमनावलि गूंज रहे जिस पर अलि-पुंज । सभी मनोरम, सभी मधुर हैं, सब जगती से न्यारा है नर क्या, देवों को भी प्यारा भारतवर्ष हमारा है। नाम-(४०६४ ) जयलाल, किशनगढ़-राज्य । अंथ -(१) प्रतिष्ठा-प्रकाश (किशनगढ़ाधीश महाराजा मोह- कमसिंहजी की रानी के बनवाए हुए गोवद्धन मंदिर का वर्णन ), (२) छप्पन भोग, (३) कवि-सार-समुच्चय, (४) तवारीख राज्य किशनगढ़। विवरण-श्राप शाकद्वीपी भोजक ब्राह्मण हैं, और अभी विद्यमान हैं। कविताओं में यह अपना नाम 'जय' रखते हैं। .