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मिश्रबंधु

सं. १९६२ उत्तर नूतन ४४३ 3 विष्णुपदी रविजा युग सरिता मणि-साला सित श्याम; विलसति कलुप-राशि-विनशावनि तव उर शोभा-धाम । घसन-धर्म शुभ गात अनूपम पूरत सब मन काम अंग-अंग बहुमूल्य अभूषण सुर-मंदिर अभिराम । सजग भृत्य तव धहरत निसि दिन हिंद-महोदधि नाम ; चरण धोइ मृदु चरण-जलन-रज धरत शीश वसुन्याम । नाम-(४१०६) राजेंद्रसिंह (कुवर ), सीतापुर। विवरण-श्राप राजा श्रीपालसिंह ताल्लुकदार के सुयोग्य पुन हैं। श्रापको हिंदी से विशेष प्रेम है। श्राप ३ साल तक यू० पी० में मिनिस्टर रहे । हाल में गवर्नमेंट से राय न मिलने पर आपने इस्तीफा दे दिया। नाम-(४११०) राधारमणप्रसादसिंह रईस । अंध-(१) महिम्न स्तोत्र भाषा (१९६५), (२) स्तोत्र- रत्नावली ( १९६६)। [वि० ० रि०] नाम--(४३११) रामचरण नागार्च । कविता-काल-सं० १६६५ । थ-(१) प्रेम-स्तुति, (२) हित-ध्यान-प्रेमाष्टक, (३) गुरु- प्रेमाष्टक, (४) ध्यान-स्तुति । विवरण-राधावल्लभी। नाम-(४११२) रामचरित उपाध्याय, नरसिंहगढ़ (मालवा)। ग्रंथ-प्रकाशित-- (१) सूक्ति-मुक्तावली, (२) रामचरित-चंद्रिका, ) सत्साहित्य- ग्रंथमाला, ( ३ ) रामचरित चिंतामणि, (४) राष्ट्रभारती, } कानपुरः।