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मिश्रबंधु

} एम्० ऐंड कंपनी, मिश्रबंधु-विनोद सं. १९६१ हिंदी-ग्रंथ रनाकर, कार्यालय, (५) देव-दूत, (६) देव-सभा बंबई। (७) भारत-भक्ति, (८) उपदेश-रत्नमाला, गहमर, गाजीपुर। (६) सत्य हरिश्चंद्र, (१०) अंजना सुंदरी, गंगा पुस्तकमाला, } (११) देवी द्रौपदी, लखनऊ। (१२) सुधा-शतक, (१३) बरवा चौसई, } इंडियन प्रेस, (१४) मेघदूत का पद्यानुवाद । प्रयाग। अप्रकाशित-(१) सतसई, (२) उपदेश-शतक, (३) सूक्ति- रत्नावली, (४) सिंदूर-प्रकरण । नाम-(४११३) रामजीलाल शर्मा । जन्म-काल-लगभग सं० १९२२ । मृयु-काल-लगभग सं० १९८३ । विवरण-यह प्रयाग में रहते थे। आपने गद्य में कई उत्तम पुस्तके लिखीं, जिनमें २३५ पृष्ठों का एक ग्रंथ सीता-चरित्र है । आरके १६ ग्रंथों में से १ बालकों के लिये लिखे गए। श्राग्ने कुछ काल विद्यार्थी नामक मासिक पत्र निकाला, तथा एक हिंदी-प्रेस जारी किया । श्राप कुछ काल हिंदी-साहित्य-सम्मेलन के मंत्री थे और हिंदी के लिये श्रमशील रहा करते थे। प्रतिभा-पूर्ण लेखक थे। नाम-(४११४) रामनारायण (रमेश कवि), फरुखाबाद । ग्रंथ-(.) सीता-स्वयंवर, (२) गंगा-लहरी । उदाहरण- सिल्प-ज्ञान, विज्ञान, गान अरु बल, विद्या-संग्राम सकल कला तेरो जग छायो देश-देश सब ठाम । विश्व-भरणि ! त्रिभुवन-पति-प्यारी ! धन भारत-गुण-धाम ; तव महिमा राघव किमि बरण निज मुख बरन्यो राम ।