सं० १९५६ उत्तर नूतन --१४७ जन्म-फाल-सं. १६११ ! ग्रंथ-संगीत-विद्यारनाकर । [द्वि० ० रि०] नाम-(४१२८ ) बैजनाथ शुक्ल, पैंतेपुर, जिला-बाराबंकी। नाम-(१२६ ) महादेवप्रसाद मिश्र । जन्म-काल-सं० १९४१ । ग्रंथ-(.) आसावर देवी-माहात्म्य, (२) बजरंग-पचासा, (३) रसिक-पचीसी। नाम-(४१३०) (लाल) रघुवरप्रसाद, ग्राम हिंडोरिया, दमोह। जन्म-काल-सं० ११३८ । कविता-काल-सं० १९६६ । ग्रंथ--स्फुट कविताएँ। विचरण-आप दीवान गिरिधारीलाल के पुत्र हैं। श्रीयुत लक्ष्मी- प्रसादजी मिस्त्री का कथन है कि दीवानगिरी का पद आपके पूर्वजों को महाराज छत्रसाल के अनंतर जो राजा हुए, उनसे प्राप्त हुआ था, और वही पद आज तक आपके वंश में चला पाता है। इनकी कविताएँ रसिक-मित्र', 'काव्य-पताका', 'सुकवि' आदि पन्नों में प्रकाशित हुआ करती हैं। उदाहरण- पूरब पुन्य पुराकृत से मन मूरख ! मानुष को तन पायो, नाहक को जग-जालन में फैसि के तिहि को शठ ! वादि गमायो। श्रायु तमाम खयाम भई, कबहूँ मुख से नहिं राम रमायो भापत हैं 'रघुबीर' वृथा सुर-दुर्लभ देह को दाग लगायो । नाम-(४१३१) रमादेवी त्रिपाठी, प्रयाग । अंथ-(.) रमा-विनोद (१६६६ ), (२) अबला-पुकार, (३) स्फुट लेख तथा-काव्य-पत्रों में।