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मिश्रबंधु

मिश्रबंधु-विनोद . प्राज

नाम -( ४५५ ) लाला दे, (बीकानेर की रानी)। रचना-काल-सं० १७२७ के लगभग । कविता-स्फुट छंद। विवरण-यह बीकानेर के राजा पृथ्वीराज की रानी थी। इन्होंने अपने पति से ही वीर-रस की कविता करनी सीखी थी । कहा जाता है, एक समय जब चित्तौड़ाधीश राणा प्रताप इनके पति राजा पृथ्वीराज के अनुरोध से बादशाह अकबर के साथ युद्ध करने को उद्यत हुए थे, तब इन्होंने अपने पति के पास निम्न-लिखित दोहा लिख भेजा था- "पति जिद की पतसाह V , यह सुनी मैं कह पातल अकबर कहाँ, करियो बड़ो अकाज । राजा पृथ्वीराज को इनसे उत्कट प्रेम था । और. कहा जाता है, इनकी अकाल मृत्यु हो जाने पर उक्त राजा को अत्यंत दुःख हुआ, और उन्होंने आग पर पकाई रसोई खाना छोड़ दिया। नाम-(४१८ ) रामसुतात्मज, महाराष्ट्र। काल-सं० १७२६ । ग्रंथ-गोपीचंदाख्यान । विवरण-श्राप नाथ-पंथी साधु थे। ग्रंथ अनेक छंदात्मक है। इसमें छ सर्ग हैं, और प्रत्येक छंद में मराठी-हिंदी की युग्म रचनाएँ हैं। नाम-(४६१) गंगेश, महाराष्ट्र देश । ग्रंथ-स्फुट छंद तथा कविता । विवरण- -~-कहा जाता है, आप भूषणजी का महाराजा शिवाजी के दरबार में सम्मानित होना सुनकर उक्त महाराज के । दरबार में पहुँचे थे । आपकी बहुत थोड़ी कविता उपलब्ध 1