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मिश्रबंधु

प्राचीन कविगण मदन से सब मराठे। उदाहरण--- राज मों राज सिवराज महराज सब साज से भूप मैं आज सुरत से सार दीदार भरि जान के, सर्व सौंदर्य बख्त के तख्त सारूढ़ खुशवस्त दिनबख्त के धर्म सत्कर्म साठे ; धीर गंभीर केयूर मणि मौर के हृदय से बंदते नाम--(3) तुलसीदास, महाराष्ट्र-प्रांतः । ग्रंथ -स्फुट । कविता-काल-सं० १७३० । विवरण-यह शिवाजी के समकालीन थे। इन्होंने सिंहगढ़-विजय का वर्णन पवाड़ों में किया है। नाम-(१५.) शिवराम कल्याणकर, महाराष्ट्र प्रांत । ग्रंथ- स्फुट । कविता-काल--सं. १७३० । विचरण--यह पूर्णानंद के शिष्य और समर्थदासजी के समकालीन उदाहरण-- हुकुम साहिबा का, हम तो चोपदार बाँका, ब्रह्मा, विष्णु, महेशा, प्रभु का अवतार खासा ; दश चारो पर सत्ता, ब्रह्मा सत्यलोक का दाता, पूर्ण गुरु शिवराम बंदा, नंदगी कर ले ये खादा । नाम-(४१०) जगन्नाथ ।