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मिश्रबंधु

सं० १९७२ उत्तर नूतन ४६७ - सुधारने के उपाय ( गुजराती से अनुवाद), (१८) मेरे गुरुदेव (अँगरेजी-पुस्तक का अनुवाद), (98) स्त्रियों का कार्य-क्षेत्र ( अनु- वाद) (२०) राजा और रानी। विवरण-यह वशिष्ठ गोत्रीय सनाढ्य ब्राह्मण पं. भायजी शर्मा के पुत्र हैं। [ श्रीयुत दशरथ बलवंत यादव, सागर द्वारा ज्ञात ] नाम-(४२१६ ) श्यामचरणजी। जन्म-काल--सं० १६४७ । ग्रंथ-(१) लालबुझक्कड़ कीर्ति-कलाप (२) भोला-विरद-प्रवाह, (३) गाय गुहार, (४) प्रेमामृत वाह, (५) धर्म-निरूपण, (६) पद्य-पुष्पांजलि, (७) भजनामृत, (८) हैहय-वंश-बखान, (१) कुमुद-सुंदरी-नाटक। विवरण-वधी राज्य-निवासी हिंदी के उत्साही लेखक । उदाहरण तखि लीजिए श्याम रसालन में अब वे मधुपूरित धौर नहीं; तिनके प्रिय चाहक ग्राहक हू ढिग हाय लखावते भौर नहीं। मनमायक गायक कोकिल की अब तो मुददायक गौर नहीं; तुम भूले कहाँ यह ग्रीपम है ऋतुबाहक की यह दौर नहीं। नाम-( ४२१७ ) श्रीकृष्णगोपाल माथुर, विद्याभूषण, विशा- रद, झालरापाटन। जन्म-काल--लगभग सं० १९१७ ॥ ग्रंथ--(प्रकाशित )-(१) चतत्व कला; (२) दो साहित्य- सेवी, (३) व्यावहारिक विज्ञान, (४) भिन्न-भिन्न देशों के अनोखे रीति-रिवाज़, (५) अर्जुन, (६) लव-कुश । ( अप्रकाशित )--(१) युधिष्ठिर, (२) अरब के नौ रत, (३) वचनामृत-सागर, (४) वक्तृत्व कला (दूसरा भाग), (५) ध्रुव, (६) वैज्ञानिक लेखों का संग्रह, (७) कहानी-संग्रह, (८) सती सावित्री।