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मिश्रबंधु

४७० मिनबंधु-विनोद सं० १९७६

रचना-काल-लगभग सं० १९७३ । ग्रंथ-(१) क्षेमकरी देवी का माहात्य, (२) सनातन- धर्म-रकाश, (३) कुंडलियानामा, (४) अवतार-चरित्र, (५) काली-नाग-नाथन लीला, (६) गोवर्धन-धारण-लीला, (७) गुरु-शिष्य-संवाद, (८) ज्ञानावली इत्यादि । विवरण--आप भारद्वाज गोत्रीय पं० शिवचरणलालजी के पुत्र हैं। [श्रीयुत लाल रघुनंदनसिंह वर्मा, इटावा द्वारा ज्ञात ] उदाहरण-- भाल में त्रिपुड, मुंडमाल है विशाल गले , भूत - प्रेत - झुंड साथ खंड करे पाप के शीश में सुरंग रंग, भंग पिए मस्त श्राप , लिपटे भुजंग अंग दुःख हरै ताप के । हाथ में त्रिशूल, मूल सकल सँसार के हैं, पावत न वेद पार हारे नाप-नाप के बिपति हमारी त्रिपुरारीजी हरत नाहिं , जीवनजू गावत गुणानुवाद प्राप के। नाम-(४२२६) तारिणीप्रसाद मिश्र । जन्म-काल-सं० १९४८ ग्रंथ-(१) अनुभव-प्रकाश, (२) देव-सभा, (३) सती सुलक्षणा, ४) निर्मला, (५) भामिनी, (६) सती सुलोचना, (७) महावीर-चरित्र, (८) महाराज पृथु, (१) पशु-चिकित्सा, (१०) सती सुफला तथा शालोपयोगी पुस्तके । विवरण-यह सरयूपारीण ब्राह्मण पं. दुर्गाप्रसाद के पुत्र सिहुडी, जिला भागलपुर में रहते हैं। नाम-(४२२६) दुर्गाशंकरप्रसादसिंह, दलीपपुर, शाहाबाद । ग्रंथ- -स्फुट कविताएँ। $