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मिश्रबंधु

मिश्रबंधु-विनोद ग्रंथ-नासकेतु-उपाख्यान । रचना-काल-सं० १७३४ । नाम -(४३° ) प्रमानद, उपनाम प्रमसखी, गुजरात-प्रांत । ग्रंथ-स्फुट रचनाएँ। विवरण-इनकी कविताएँ प्रेम-रस-पूर्ण हुआ करती थीं । आप कवि सामल भट्ट (सं० १६८४-१७४४ ) के समकालीन तथा सहजानंद स्वामी के शिष्य थे । मुख्यतः इनकी रचनाएँ गुजराती भाषा में होने के कारण उस प्रांत के यह एक महान् कवि कहे जाते हैं । अभिमन्यु-आख्यान-नामक ग्रंथ में इनका एक हिंदी-पद्य पाया जाता है। नाम--(४१) अज्ञानदास, महाराष्ट्र प्रांत । ग्रंथ-मराठी-हिंदी-मिश्रित पँवाड़े । कविता-काल-सं० १७३५ । विवरण-यह गोंधली जाति के थे । राजपूताने के भाट-चारणों की तरह महाराष्ट्र-प्रांत में इस जाति के लोग वीर तथा शृंगार-रस- पूर्ण पँवाड़े और लावनियाँ गाया करते थे। इन्होंने अफ़ज़लख़ाँ के वध का पवाड़ा महाराज शिवाजी और उनकी माता को सुनाया था। उदाहरण- अफ़ज़ल-"तू तो कुनबी का छोकरा ।" शिवाजी-"तू बी भटारनी का छोरा, शिवाजी सरजा पर लाया तोरा x अब्दुल जाति का भटारी, तू तो करता दुकानदारी।" नाम-(४३) आत्माराम, महाराष्ट्र-प्रांत । 3 X x ग्रंथ--स्फुट।