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मिश्रबंधु

मिश्रबंधु-विनोद सं० १९७१ विवरण- --यह पंडित देवकीनंदन मिश्र के पुत्र हैं। कई भाषाओं के ज्ञाता और हिंदी-गद्य तथा पद्य दोनो लिखा करते हैं । इस समय दिल्ली-माडर्न स्कूल में हिंदी के अध्यापक हैं । उदाहरण- धन्य-धन्य हे किसान, कीरति तव नीकी। माघ-पूस को तुषार, ग्रीषम श्रातप अपार, सहन करत बार-बार जाने को जी की ॥१॥ गीताकर उच्च भाव, सारे जग को सिखाव, फल की नहिं राख चाव, श्राश है हरी की ॥२॥ तन, मन, धन, सभीखेत, बसुधा को अन्न देत, श्रम ते नित रखत हेतु, और बात फीकी ॥३॥ दया दृष्टि करो नाथ, विनय करों नाय साथ, 'उदित' सुनो करुण-गाथ, ऐसे दरदी की ॥४॥ मन मरु विमल विचार ते मरहु न मन भरमाय । मन मारे जनि बैठहू, मन मारहु सुख पाय । नाम-(४२४५) उमरावसिंह पांडे, मैनपुरी। जन्म-काल-सं० १९५६ । कविता-काल-सं० १९७५ । मंथ--स्फुट लेख तथा कविता । विवरण----ग्रह स्थानीय प्रतिष्ठित ज़मींदार पं० चिंतामणिजी के पुन ब्रजभाषा तथा खड़ी बोली दोनो में कविता करते हैं। उदाहरण- मोर-पखा राजत, बिराजै उत चंद्रकला , वेसरि सुहाई उत बाँसुरी बनाई है; वानिक बनायो इतै कृष्ण जदुचंद अाज , उतै चंद्र चंद्रिका सुवेनी चारु चाई है। -