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मिश्रबंधु

सं० १६०२ उत्तर नूतन प्यारी परयंक पै परी री पछितात प्रात, आयो प्राणप्यारो पग जोवर धरति है। मान करि बाली मुख फेरति जिते को उतै, विनती अनेक भाँति साँवरो करति है; राधिकै मनावै घूमि-घूमि के 'नवीन' श्याम, मानो भौंर पंकज की भाँचरै भरति है। नाम --(४२५१ ) केशव, रीवा-निवासी । जन्म-काल-लगभग सं० १९१० । कविता-काल-सं० १९७१। अंथ- स्फुट काव्य । विवरण हमने इनकी कविता सुनी है, अच्छी होती है । नाम-( ४२५२ ) गौरीशंकर पथिक । जन्ना-काल-सं० ११५३ । ग्रंथ-(१) करेंसी, (२) समाज-सुधार के तश्व । विवरण --उज्जैन-निवासी कान्यकुब्ज ब्राह्मण पं० शिवशंकरलाल के पुत्र । आप सरस्वती पुस्तकालय के अध्यक्ष हैं, तथा पंचराज, वैष्णव- धर्म-पताका, वसुंधरा, प्रकाशादि पत्रों के संपादक भी रह चुके हैं। नाम---( ४२५३) चंद्रमतीदेवी (इदुमती), बनकटा, आजमगढ़। जन्म-काल-सं० १९५० । नाम-(४२५४) जगदीशदत्तजी शास्त्री, जैनाबाद। जन्म-काल-लगभग सं० १९५० । ग्रंथ---(१) विज्ञान-शिक्षा, (२) सुर-भारती-संदेश, (३) हिंदी-साहित्य-सार । विवरण-श्राप पंजाव-विश्वविद्यालय के शासी एवं उत्साही लेखक तथा कवि हैं।