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मिश्रबंधु

सं० १९७१ उत्तर नूतन १८३ नाम-(४२६३) विपिनविहारोलाल (वैद्य-विपिन) जन्म-काल-सं० १९५८ । रचनाकाल-सं० १९७५ । ग्रंथ-(१) विपिन लता, (२) विपिन-विहार, (३) देश- दर्पणं, (४) आयुर्वेद-गौरव तथा स्फुट छंद एवं लेख । विवरण---यांसडीह, बलिया-निवासी मु० कृष्णकुमारलाल के ज्येष्ठ पुत्र, वैद्यक्र-परीक्षा पास, पुरातश्व के प्रेमी तथा उस पर महा- काव्य लिखनेवाले हैं। विपिन-औषधालय में वैद्यक करते हैं। नाम-~-( ४२६४) बुधचंद्र पुरी संन्यासी, स्वामी, ग्राम उबा- वडा, शुजाबाद (मुल्तान)। जन्म-काल-सं० १९५७। रचना-काल-लगभग सं० १६७५ ॥ ग्रंथ-(१) श्रीकर्म-सुधार, (२) स्त्री-शिक्षा-भजनावली, ( सी-धर्म चेतावनी, (४) स्त्री-धर्म-पुष्पमाला। विवरण-इनके पूर्वजों का निवास स्थान बनारस था । उदाहरण-- सोती रहोगी कब तक भारत के नामवाली। आँखें उठाके देखो मिटते निशानवाली॥१॥ सफलत ने तुमको घेरा किस शान में पड़ी हो । तन की खबर नहीं है भारी गुमानवाली ॥२॥ थी तुम कभी कहाती भारत कि वीर माता। भूली हो तेज अपना देवी के नामवाली ॥३॥ झुकते थे देव-दानव करते थे दर्श मुनि जन । पतिवत्य धर्म पर ऐ तनको जलानेवाली ॥४॥ अजुन-से वीर योद्धा, सरधाल बलि से दाता। 'वुधचंद्र' पूज्य माता, उनकी कहानेवाली ॥५॥ 4 6