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मिश्रबंधु

मिश्रबंधु-विनोद सं. १९७५ नाम-(४२७२ ) यज्ञनारायणसिंह (जी)। जन्म-काल---माघ-शुक्ल १३, सं० १९१२ । रचना-काल-सं० १९७५ विवरण-~-आप जवानसिंहजी के पुन तथा किशनगढ़ के वर्तमान महाराजा हैं। आप प्रजा-वत्सल तो हैं ही, साथ ही कवि भी हैं। उदाहरण- भूमि आयो धनश्याम श्माम धरा-भेष धारि, गरजि-गरजि निज भागम सुनायो है बगलनि पाँति मानो मोतिन की माला गरे, दामिनि-चमक सो चिबुक चमकायो है। फूली साँझ प्यारी रहीज्योति पिय की निहारि, रँगे बदरन को लहरिया हरी-हरी भूमि तापै डोलैं गर-बाह डारि, गौरि श्याम केलि लखि यज्ञ हरखायो है। नाम-( ४२७३ ) रमेशप्रसाद बी० एस्-सी०, पटना ! जन्म-काल-लगभग सं० १९५० । मंथ-~~-विज्ञान-संबंधी स्फुट लेख । विवरण- यह कायस्थ हैं। विज्ञान-संबंधी साहित्य से इनको विशेष रुचि रहती है। नाम-(४२७४) रामचरनलाल ( मस्त)। जन्म-काल-सं० १९५१ रचना-काल-सं० १९७१। विवरण-महाराजा-स्कूल किशनगढ़ में हेड पंदित हैं। इन्होंने कुछ स्कूली पुस्तकें लिखी हैं । हिंदी में कविता भी करते हैं । सुहायो है i