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मिश्रबंधु

२०० मिश्रबंधु-विनोद सं०१९७६ ग्रंथ-(.) अभिलाष उदाहरण- विरह-व्यथा से क्षत-विक्षत यदि हृदय तुम्हारा होऊँ ! प्रेम-अश्रु-मण-प्लावित नयनों का यदि तारा होऊँ ! जीवन के प्राशा-तरु का यदि कुसुम नियारा होऊँ ! अगर तुम्हारे शांत शयन का स्वप्न पियारा होऊँ ! अगर तुम्हारी कलित कल्पना का उद्घाटन होऊँ ! अगर तुम्हारा तन छूने को मलय-पवन धन होऊँ ! अगर तुम्हारे अन्वेषण का चार चयन कन होऊँ ! चिर कृतज्ञ तो होऊँ विधि का यदि तव मृदु मन होऊँ नाम-( ४२६२) शंकरराव जोशी। संसार-व्यापी असहयोग, (२) पंजाब का हत्याकांड, (३) रोम-साम्राज्य, (४) फसल के शत्रु, (१) उद्यान, (६) वर्षा और वनस्पति, (७) ग्राम-संस्था (८) तरकारी की खेती, (६) कीट-संसार, (१०) कीट-विज्ञान, (११) भूकंप । जन्म-काल--सं० १९५५ । रचना-काल-सं० १९७६ । विवरण-यह पालीवाल ब्राह्मण पं. गोपालराव के पुत्र हैं। कृषि-शास्त्र का अध्ययन कर इन्होंने इस विषय पर उत्तमोत्तम पुस्तके लिखी हैं। नाम-(४२६३ ) सुभद्राकुमारी चौहान, जबलपुर । जन्म-काल-सं० १९६१ । रचना-काल-लगभग सं० १९७६ । विवरण-आपने 'मुकुल' और 'बिखरे हुए मोती' पर दो बार हिंदी-साहित्य-सम्मेलन से पारितोषिक प्राप्त किया है। .