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मिश्रबंधु

सं० १९७७ उत्तर नूतन - उदाहरण- करो जगत में नित शुभ काम, जिससे मिले तुम्हें धन-धाम । दुष्कर्मों को दीजे त्याग; मन की पकड़ लीजिए बाग। कर तपस्या या जो योग; ऐसे जग में दुर्लभ लोग। जिनके मन में नहीं विवेक; ऐसे जग में पुरुप अनेक । नाम-(१२६७ ) माताप्रसाद शर्मा 'दत्त कवि' बाराबंकी (अवध)। जन्म-काल-सं० १९१२ । कविता-काल-लगभग सं० १९७७ । ग्रंथ-(१) नारद-मोह (नाटक, बालार्क प्रेस, बहराइच ), (२) लक्षमण-विजय ( नाटक, स० १९७६, भारत-भूषण-प्रेस, लखनऊ), (३) भारत-सत्कार (पद्य, स. १६८०, अमुद्रित), (४) स्फुट कविता। विवरण -आप कौंडिन्यगोत्रीय शाकद्वीपीय ब्राह्मण पं० राजाराम शर्मा (पाठक) के पुत्र हैं। उदाहरण- वर्षा को ब्रजराज-बाटिका औरै रंग केतकी, गुलाव गुंफ औरै-और, गुलाचीन औरै चार प्राट बहारै री; औरै श्रोध, औरै सौध, औरै ब्रज-बाग-पौध, औरै रंग कोकिला कलाप कुंज झारै री। औरै री हिंडोरन में औरै राधा कृष्ण, औरै तरल तरंगन में औरै ढाँक ढारे री! और 'दत्त' औरै बुद्धि, और ही के तोरे मन, और किए डारे ये कदंबन की डारै री। नाम-(४२६८) रामगोविंद त्रिवेदी।