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मिश्रबंधु

सं० १९७७ उत्तर नूतन. (५) इंद्र-पराजय (खंड काव्य ), (६) धाय की कविता ( अालोचनात्मक ग्रंथ), (७) उद्गार (स्फुट कविताओं का संग्रह )। . विवरण- यह सरयूपारीण ब्राह्मण पं० रघुनंदन पांडेयजी के पुत्र हैं। 'यह महाशय लेखक एवं कवि होते हुए एक अच्छे व्याख्यानदाता भी हैं। इनकी रचनाएँ माधुरी, मनोरमा, कान्यकुब्ज आदि पत्रिकाओं में समय-समय पर निकला करती हैं। [पं० उमाशंकरजी पांडेय, हिराजपट्टी (आज़मगढ़) द्वारा ज्ञात ] उदाहरण- आशा खिले रहो बन स्नेह-सुमन इस हृदय-विपिन के मिले रहो वन धीर सदा इस नीर नयन के। श्याम सघन घन बने मंजु मन मोर जिलाना; प्याले हिय को कभी प्रेम-पीयूष पिलाना । अब मंजुल मानस में हरे ! राजहंस बन के रहो; मम आशा-सरिता में सदा सुधा-धार बनकर वहो। नाम-(४३००) हरद्वारप्रसाद जालान, धारा (बिहार)। जन्म-काल-सं० १९६३ । रचना-काल-सं० १९७७ । अंथ-(१) घरकट सूम (प्रहसन, पृ० सं० ६४), (२) क्रूर वेण ( पौराणिक नाटक-रूपक, पृ० सं० १९३), (३) पृथ्वी पर स्वर्ग ( सामाजिक नाटक), (४) राज्य-चक्र (ऐतिहासिक नाटक), (५) भगवान कृष्णचंद्र ( पौराणिक नाटक)। विवरण-यह मारवाड़ी अग्रवाल (जालान) कुलोत्पन्न सेठ सागर- मलजी के पुत्र हैं। इनका आदि निवासस्थान बीकानेर राज्यांतर्गत चुरू नाम है । इनको हिंदी-साहित्य से अत्यंत प्रेम है। आरे से