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मिश्रबंधु

सं० १९८० उत्तर नूतन ५२५ समय-संवत् १९८० नाम-(४३११) उदयशंकर भट्ट। जन्म-काल-सं० १६५४। रचनाकाल स० १९८०1 ग्रंथ-(१) तक्ष-शिला-काव्य, (२) विक्रमादित्य नाटक, (३) उपमा का इतिहास आदि कई पुस्तकों के लेखक तथा गुमानी मिश्र कृत कृष्णचंद्रिका के संपादक। विवरण-युक्तप्रांत के निवासी, आजकल लाहौर में रहते तथा पंजाब-विश्वविद्यालय के परीक्षकों में हैं । गम-पद्य के होनहार लेखक हैं। तक्षशिला-काव्य पर आपको पंजाव-टेक्स्ट-बुक-कमिटी से ४२०) इनाम मिला है। उदाहरण--- सूर को अँधरो कौन कहे। पढ़तहि पद मन मत है नाचत प्रानंद-खोत बहै तरल तरंग हृदय - सरिता में कल-कल करि उमहै। जग जंजाल मटकि झटपट जन तटिनी तट विहरै भगति-भाव-भरि मुकि झुकि झूमै नैनन नीर बहै। छिन वियोग, छिन योग, भोग छिन आवत सब समुहै; भेटत ललकि कहूँ मुरलीधर राधा जड़ चेतन, चेतन जड़ होवै भावुकता उलहै ; सुकवि सूर की सुनत पदावलि को है मौन गहै। मिक्षा फैला झोली निटर हृदय की देख कौन देने आया मत्त न होना रूप-सुधा पी, यह ऊपर तक भर आया। आँखों द्वारा पीकर मचले अपने मन में रख लेना जीवन है, मधु मद है, सुख है, चुसकी जब लय भर लेना। . । 5