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मिश्रबंधु

१२८ मिश्रबंधु-विनोद सं० १९८० लगी रही टकटकी द्वार पर आँखों को न मिला अवकाश; फिर भी पाए नहीं प्राणधन, नष्ट हो गई सारी पाश । नाम-(४३१६ ) दुलारेलाल भार्गव, लखनऊ । जन्म-काल-लगभग सं० १९५८ । रचना-काल-लगभग सं० १९७६ । विवरण-संपादक माधुरी तथा सुधा । संस्थापक गंगा-पुस्तक- माला-कार्यालय, जहाँ से अब तक ३५० पुस्तके प्रकाशित हो चुकी हैं, और अन्य प्रकाशित होती जाती हैं । आप बिहारी के ढंग पर अब तक लगभग ५०० दोहे लिख चुके हैं। हिंदी में अच्छी-अच्छी पुस्तके गंगा-पुस्तकमाला में निकालकर आपने हिंदी की विशेष सेवा की है। साहित्य-रचना भी परम श्रेष्ठ करते हैं, जैसा दुलारे-दोहावली से प्रकट है । भारतेंदु के पीछे इनके बराबर हिंदी- -सेवा बहुत कम लोगों से बन पड़ी है। नाम-(४३१७ ) द्वारकाप्रसाद मिश्र, जबलपुर । जन्म-काल-लगभग सं० १९१८॥ रचना-काल-सं० १९८० । श्राप एक बड़े ही होनहार और उत्साही लेखक तथा देश- हितैषी हैं । बी० ए० और एल-एल० बी० पास करके आप देश-हिते- षिता एवं राजनीतिक कामों में ऐसे संलग्न हो गए कि वकालत करने का अवसर ही न पाया। देश-हित के कारण जेल भी जा चुके हैं। 'लोकमत' के जन्मदाता एवं संपादक रहे हैं। पहले वह साप्ताहिक रूप में निकला, और फिर दैनिक हो गया, पर अाजकल बंद है। मिश्रजी जबलपुर के प्रसिद्ध रईस और देश-प्रेमी सेठ गोविंददासजी के परम मित्र हैं। भारतीय व्यवस्थापक सभा ( Legislative .Assembly ) के सदस्य रहे हैं।