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मिश्रबंधु

1 . ०१९८० उत्तर नूतन तियाँ (6) संसार-रहस्य, (१०) सीधे पंडित, (११) जीवन- मरण-रहस्य। विवरण----याप गहरवार क्षत्रिय ठाकुर रघुरायसिंह के ज्येष्ठ पुत्र हैं, तथा युक्लप्रांतीय आईन-सभा के सदस्य रह चुके हैं । नाम-(४३२२) बलदेवप्रसाद मिश्र, रायगढ़ राज्य (मध्यप्रदेश)। जन्म-काल-सं० १९५५ । ग्रंथ-(१) मन्सथ-संथन (खंड काव्य), (२)गंगा-लहरी, (३) गल्पांजलि, (४) शंकरदिग्विजय (नाटक), (५) असल्य संकल्प, (६) वासना-वैभव, (७) जीव-विज्ञान, (2) कवि और काव्य (ग), () गीतार्थ-भूमिका (गद्य), (१०) स्वयं सेवा ( गद्य), (११) सुकवि-सूक्ति-संग्रह, (१२) ग्राम-गौरक (ब्रजभापा, पद्य), (१३) विमलादेवी (उपन्यास), (१४) मोहन-मानी (काव्य खड़ी बोली), (१५) सती सुकन्या (नाटक), (१६) दुर्वला नारी (नाटक), (५७) श्रीकृष्ण (नाटक) (१८) स्वामीराम (नाटक), (१६) वीरवर कर्ण (नाटक); (२०) सिक्ख-संध्या (नाटक), (२१) पद्यावली, (२२) शृंगार-शतक (ब्रजभाषा), (२३) वैराग्य शतक (बजमापा), (२४) नीतिशतक (नाटक), (२५) श्याम- शतक (नाटक), (२६) भक्ति-शतक (नाटक), (२७) वीर-शतक, (२) अन्योति-शतक, (२६) सामान्य शतक (खड़ी बोली), (३०) बाल-चरित (खड़ी बोली सहाकाव्य), (३१) संसार- सागर (गद्य), (३२) साहित्य-लहरी (इतिहास), (३३) दांपत्य ( गय), (३४) लेखमाला (संग्रह), (३५) भागवत- सागर। विवरण-श्रापके पूर्वज प्रथम उन्नाव जिले के बहुराजमल-माम्म