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मिश्रबंधु

SE उत्तर नूतन X डूब गया मैं, छूट गया सब, टूट गया यह मन मेरा X x उसे शब कैसे पाऊँगा ; ध्यान उर कैसे लाऊँगा? X इसी से अर्पित है यह नाथ, तुम्हें "टूटी माला उपहार", उसी में तो मैंने प्राणेश, एकत्रित कर डाला सब प्यार । नाम-(४३३४ ) विपिनविहारी मिश्र गधौली, सीतापुर। जन्म-काल-लगभग सं० १९५५ । रचना-काल-सं० १९८० ग्रंथ- स्फुट कविता तथा लेख एवं समालोचक पत्र का दो माताओं से सम्मिलित संपादन । विवरण-श्राप कृष्णविहारी के अनुज तथा प्रसिद्ध कवि लेखराज के पौत्र हैं। नाम---(४३३५ ) (एच्. एच्० सवाई महेंद्र महाराजां) वीरसिंह देव बहादुर श्रोडछा (टीकमगढ़ ) नरेश सरामद राजगान बुदेलखंड। जन्म-काज-सं० १९५६ । रचना-काल-सं० १९८० अंथ-हाकी (खेल का विवरण)। विवरण-श्राप हिंदी के परम प्रेमी तथा कवियों के कल्पवृक्ष हैं । सुकवि अजमेरी आपके राजकवि हैं। श्रीमान के दरबार में बहुतेरे प्रसिद्ध कवि समय-समय पर बुलाए जाकर सम्मानित होते हैं, विशेषतया वीर-वसंतोत्सव के अवसर पर, जब कि टीकम-