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मिश्रबंधु

उत्तर नूतन . . सं. १६८१ विवरण-आप अल्मोड़ा जिला-निवासी प्रतिभाशाली नवयुवक लेखक हैं। अपनी देश-भाषा से अापको बाल्यावस्था से ही प्रेम रहा है। स्फुट लेखों के रूप में इनकी हिंदी साहित्य सेवा, मुख्यतः सं० १९८० में प्रारंभ होकर, आज तक अचिरत होती चली आ रही है। अपनी उच्च शिक्षा समाह फरने पर बहुत दिनों तक आपने 'सत्ययुग', 'दैनिक भारतमित्र', 'कलकत्ता-समाचार' आदि पन्नों के संपादकीय विभाग में काम किया । 'कुर्माचल केसरी' के श्राप जन्मदाता हैं। कुछ काल तक यह महाराजा बस्तर के निजू अमात्य रहे थे, किंतु कहर देश-भक्त होने के कारण इन्होंने नौकरी छोड़ दी, और यह देश- सेवा में संलग्न हो गए। औद्योगिक शिक्षा प्राप्त करने के हेतु इस .समय श्राप योरप में हैं, और वहाँ से लेख श्रादि लिखकर बराबर हिंदी-साहित्य की सेवा कर रहे हैं। समय-संवत् १९८१ नाम--(४३४१) कालीप्रसाद त्रिपाठी (श्रीकर) चिलौली, जिला उन्नाव। जन्म-काल-सं० १११६ । सूचना-काल-सं० १९८१ ग्रंथ-(१) सुबांधव (नाटक), (२) अन्योक्ति शतक, (३) दिल्ली-पतन, ( ४ ) जौहर, (५) कौमुदी-भाष्य, (६) सुधन्वा- वध, (७) दोहावली भाष्य, (2) गंगा-लहरी पद्यानुवाद । विवरण-आप पं० कालीकुमार के पुत्र तथा पं० रामकिंकरजी के पौत्र हैं । आपका बराना सदा से संस्कृत के उच्च विद्वानों से अलंकृत रहा है, और इन्होंने स्वयं संस्कृत की उच्च परीक्षा उत्तीर्ण की हैं। ऊपर लिखे हुए ग्रंथों के अतिरिक्त इन्होंने संस्कृत में लगभग ५०० श्लोकों का 'वैद्य-भूषणम्' नामक अंथ बनाया है । इल समय यह 'अर्जुन-वध' नामक एक काव्य-ग्रंथ लिख रहे हैं।