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सं० १९८२
मिश्रबंधु-विनोद

नाम―(४३४७) उमाशंकर वाजपेयी (एम्० ए०, उमेश)।

जन्म-काल―माघ-कृष्ण २, संवत् १९६४। लखनऊ में।

पिता का नाम पं० अंबाराम वाजपेयी।

विवरण―एक बार हिंदोस्तानी एकेडेमी से आपको १००) का पुरस्कार अच्छी रचना पर मिला। हम लोगों को आप अपनी रचना सुनाया करते हैं। आप एक सुकवि और होनहार लेखक हैं। सुचकुद-चरित्र खंड काव्य प्रायः १०० पृष्ठों का रचा जो अप्रकाशित है।

उदाहरण―


चाहत न रिद्धि-सिद्धि संपत्ति दुनी की नाथ,
चाहत न रूप वपु कीरति सुहावनी।
चाहत न राज के समाज सुख-साज बहु,
चाहत न दिव्य वस्त्र-भूपन-प्रभा घनी।
चाहत न चिंतामनि - मंडित मुकुतधाम,
चाहत न नाग बाजि वाहन महा बनी;
चाहत 'उमेश' एक लाड़िली के पाँयन की
बृंंदाबन कुज की पुनीत रज की कनी।

हिमालय के प्रति


उठु-उछु त्यागु आजु थिरता हिमंचल तू,
मेरी हाँक सुनि क्यों न ऊपर उछरतो;
मौन बनि बैध्यो, तोहिं लाज हू न आवै सूढ़,
कैसे निज गौरव को हाय! तू बिसरतो।
सुकवि 'उमेश' बोलि लेतो क्यों न बंधुन को,
क्यों न बदि बैंरिन पैं बज्रपात करतो;
देखि-देखि दीनन की दारुन दला को आजू
कुटिल कुचालिन पैं टूटि क्यों न परतो।