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मिश्रबंधु

सं. १९८२ उत्तर नूतन . क्षण से 3 $ कौन निजः नास रूप गुण से अजान तुम, इस अवनी के अनमोल भाभरण से देवदूत से हो कहो कौन धुतिमान तुम, मोती-से सरस शुचि मेघ वारि-कण-से। वारिधि में बीचि के प्रथम लास से हो तुम कौन लघु जीवन के एक स्वर्ण उत्तरे न जाने ऊ न जाने किस लोक से हो, शिशु तुम कौन नवशशि की किरण-से। प्रेम-मसि अंकित तुम्हारी मंजु मूति वह मिटती कभी न मृदु मानस-दुकूल से जन मन भाई शुभ सहज लुनाई लख, अति भयदाई दुख जाते सब भूल-से। चंद्रकांतमणि-ले भी शीतल स्वभाव के हो, कांति में मदन से कि शांति सुख मूल से मधु-ऋतुवाली हरियाली में सुहृद तुम कौन निज डाली में रहे हो फूलि फूल नाम--(४३४८) कौशलेंद्र राठौर, डालूपुर, फर्रुखाबाद । जन्म-काल-सं० १६५७ । मृत्यु-काल-सं० १९८७ में अग्नि-प्रकोप से मृत्यु । विवरण-श्राप खूसिंहजी राऔर के पुत्र थे । आपने काव्य- शास्त्र का अध्ययन किया। हिंदी, उर्दू, फारसी, संस्कृत, अँगरेज़ी श्रादि भापात्रों का आपको अभ्यास था। कविता अच्छी रचते थे। उदाहरण- सदय बड़े हो है सदयता तुम्हारी गेय, छोड़ते न नान अपनी हो किसी हाल में । .