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मिश्रबंधु

सं. १९६२ उत्तर नूतन अद्भुत मेल, उदाहरण- जगत में सबका नियमित नाश । उपा का बंकिम भृकुटि-बिलास, निशा का किंचित् मंजुल हास, छदा का यह सुंदर शृंगार, प्रकृति का है स्वच्छंद विहार । अरुण-मंडल का रजत प्रकाश, गगन-मंडल का पुष्पित वास। छदाओं का यह प्रकृति का है क्षणभंगुर खेल । कुसुम-कलियों की मृदु मुसकान, हरित विटपों की छवि अग्लान, 'ललित लतिका कुसुमित द्रुम-वृंद, चटकना कलिका का स्वच्छंद । सभी में है सौंदर्य विकास, सभी का होता तो भी हास । क्षणिक है जीवन स्वप्न-विकाश, जगत में सबका नियमित नाश । नाम-(४३५१ ) भुवनेश्वरसिंह 'भुवन', ग्राम आनंदपुर, जिला दरभंगा। जन्म-काल-लगभग सं० १६६३ । रचना-काल-सं० १९८२ । ग्रंथ-स्फुट रचनाएँ। विवरण--श्राप महाराजा दरभंगा के वंशज हैं । इनके प्रपितामह और वर्तमान महाराजा साहव दरभंगा के पिता सहोदर भ्राता थे। आप मैथिल ब्राह्मण पं. मदनेश्वरसिंह के पुत्र हैं। इन्होंने सं. --