सं० १९८२ उत्तर नूतन जो पवन पंखा तुमे है भल रहा। देखना कल धूल झोंकेगा वही। चटकीला तेरा मिट जायगा, और माली पूढुंगे तुझे; लात सारेंगे तुझे तब हाय सब, यह धरा ही बस शरण देगी तुझे। मा धरा का गोद में रहकर पड़ी, मालती हरदम कहेगी तू यही- देख लो लोगो ! जरा फैला नज़र, एक-सा दिन है सदा रहता नहीं। भाम-( ४३५४) रामकुमार वर्मा (कायस्थ), प्रयाग। जन्म-काल-सं० १९६२ । रचना-काल-सं० १९८२ । ग्रंथ-साहित्य-समालोचना तथा कवीर का रहस्यवाद । विवरण-जूनियर लेक्चरार-हिंदी, इलाहाबाद विश्वविद्यालय । नाम--(४३५५) रामवचन द्विवेदी 'अरविंद', ग्राम दुबौली, जिला शाहाबाद । जन्म-काल-सं० १९६२ । मृत्यु-काल-सं० १९८६ । ग्रंथ-(१) वर्ण-दशा, (२) हिंदी-संदेश, (३) विनय, (४) वीरों की वाणी, (१) श्रीकृष्ण-संदेश श्रादि । विवरण-श्राप पं० रामअनंत द्विवेदी के पुत्र तथा सरयूपारीण ब्राह्मण थे। इनकी रचनाएँ मुख्यतः वीर-रस पर हैं। आप एक सुकवि थे।