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मिश्रबंधु

सं० १९८३ उत्तर नूतन किसकी कृश कटि को लखकर तुम भगा रहे हो यह मृगराज ? वार रहे हो इस कुंजर को किसकी मंथर गति पर पान ? किसके कानों से सट सटकर प्रेम-मंत्र सिखलाते हो ? किसके कंत्रु-कंठ से लगकर जी की जलन मिटाते हो ? नाम-(४३६६ ) भोलालालदास बी० ए०, एल-एल० बी०, लहरिया सराय, दरभंगा। जन्म-काल-सं १९१३॥ रचना-काल लगभग सं० १९८३॥ ग्रंथ-हिंदू-लॉ में स्त्रियों का अधिकार । विवरण- [----श्राप जाति के कायस्थ तथा 'मैथिली' नामक पत्र के संपादक हैं। 'चाँद पन के भी श्राप सहायक संपादक रह चुके हैं। कविता भी अच्छी करते हैं। विश्व यह अद्भुत नाट्यागार । पटीयसी वह प्रकृति-नटी है सूत्रधार करतार, गिरि कानन भू उदधि आदि ये सुदर श्य अपार । जीवमात्र सब पात्र यहाँ हैं ज्ञानी देखनहार, देखो तनिक ध्यान से इसको यह कैसा उन्नार । हुआ युगांतर दृश्य उपस्थित मानो अव की बार, यह जो प्रवल लोकमत की है उमड़ी भीषण धार । कैसी चली मिटाती नृप की सत्ता अत्याचार, देश-देश में हुआ प्रतिष्ठित शुभ स्वराज-सस्कार । जलियाँवाला बारा यहाँ भी खोल दिया वह द्वार, भारत माता जगा रही है तुम्हें पुकार-पुकार, बड़ा विशाल क्षेत्र है आगे कूद पड़ों इक बार । नाम-(४३६० रमाशंकर मिश्र 'श्रीपति'। जन्म-स्थान- -इटौंजा, जिला लखनऊ।