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मिश्रबंधु

जन्म-काल--

मिश्रबंधु-विनोद सं. १९८१ ' नाम-(४३७०) उच्चेश्वरप्रसादसिंह 'ईश्वर', ठाकुर नौगाई, संग्रामपुर (मुंगेर)। --सं० ०११६० विवरण-नवीन विचार-युक्त अच्छी रचना करते हैं। उदाहरण- है संसार, वही भारत है, मेरा प्यारा भवन यही इधर-उधर हैं वहीं दिशाएँ, ऊपर नीला गगन वही। वही सूर्य प्रतिदिन आता है लेकर सोने की थाली; वहीं चंद्र अमृत बरसाता, भरता अतों को पानी। वही खेत शल भरे लखाते, वही वनों की हरियाली भूधर सभी खड़े वे ही हैं, करते जग की रखवाली। रत्नाकर गंभीर भाव से वही दृश्य दिखलाते हैं; सरितानों को बड़े प्रेम से हृदय-मध्य बिठलाते हैं । वहीं वसंत, वही वर्षा है, वही शरद-साम्राज्य यहाँ; वही कोकिला, वही पपीहा की मद-भरी पुकार यहाँ। वही फुदकना वन-पक्षी का, और मयूरी नृत्य वही; वही चहकना है बुलकुल का, सुभग सारिका कृल्य वही। वही फूलना है कलियों का, बही सुगंधी अलबेली; अब तक वही मोहिनी मूरति धारे नूतन बनबेली। पर फिर भी क्या सदा उदासी रहती है मेरे मन में है 'श्रभाव' स्वातंत्र्य विना सब बिन सुख हो इस जीवन में। -(४३७१ ) गयाप्रसाद शर्मा द्विवेदी गंगावली अमेठी- राज्य, सुलतानपुर (अध)। जन्म-काल-सं० १६५६ । रचना-काल-लगभग सं० १९८५ अंथ-(.) संतोष, (२) सुस्वम । ( गद्य • पद्य नाम- मय