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मिश्रबंधु

५७४ मिश्रबंधु-विनोद सं० १९८२ जन्म-काल--सं० १९६०। ग्रंथ-(१) श्रीवल्लभ-विजय (धार्मिक नाटक), (२) जय- श्री (धार्मिक नाटक), (३) कल्याण ( सामाजिक नाटक), (४) राजसिंह (गुजराती में ऐतिहासिक नाटक)। विवरण--श्राप तैलंग देवर्षि भष्ट पं० रमानाथ शास्त्री के पुत्र हैं। हिंदी, संस्कृत, गुजराती, मराठी, अँगरेज़ी आदि भाषाओं में श्रम किए हुए हैं । गंध लिखने में अभ्यस्त हैं । अपर दिए हुए चारो नाटक अभी मुद्रित रूप में हैं । वैषणव-धर्म, माधुरी, गल्प. माला, सरस्वती, पताका श्रादि पत्र-पत्रिकाओं में इनके लेख यदा- कदा निकला करते हैं। [पं. रमाकांत त्रिपाठी, प्रकाशक, लाहौर मैंशन, बंबई द्वारा ज्ञात] | नाम--(४३७८ ) श्यामापति पांडेय (श्याम) एम० ए०, खीरीकोठा, जिला आजमगढ़ । जन्म-काल-सं० १९६३ । रचना-काल-सं० १९८५ । ग्रंथ-वेदना की समाधि (कहानियों का संग्रह)। विवरण-आपने हिंदी में एम० ए० पास किया है। सुधा के संपादकीय विभाग से काम करते थे। श्रापके कथन साधारण रूप में भी गंभीर और दार्शनिक होते हैं। उदाहरण- स्मृति-विस्मृति! तुम्हें भूलकर पा न सका था कहीं शांति की छाया ; इसीलिये कर कटिन साधना तुमको यहाँ बुलाया। तुम आ गए, किंतु मैंने. तुमको न तनक पहचाना ; द्वार बंद कर दिए और दे सका न तुम्हें ठिकाना ।