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मिश्रबंधु

मिश्रबंधु-विनोद सं० १९७६ चक्र ग्रंथ-(१) संतोद्दीपन ( प्रकाशित), (२) गांधी-बत्तीसी (प्रकाशित ), (३) रलावली (अप्रकाशित), (४) कविता- कलिकावली (अप्रकाशित)। विवरण--यह नवयुवक लेखक हैं । पत्र-पत्रिकाओं में समय-समय पर इनके लेख निकला करते हैं। उदाहरण- धन बरसत, सरसत पवन, मन तरसत पिय-हेतु; पद परसत करसल न कछु सर झरसत भखकेतु। नाम- -(४३९८ ) रामाज्ञा द्विवेदी 'समीर' एम० ए०। जन्म-काल-सं० ११५१ । रचना-काल-सं० १९७६ । ग्रंथ--(१) निकलिका, (२) सतसई, (३) सत्तसई बर्वे- छंद, (४) मृच्छकटिक, (५) स्फुट छंद। विवरण--सोमों, जिला बस्ती निवासी सरयूपारीण ब्राह्मण तथा पं० रामचंद्र द्विवेदी के पुत्र । आप कवि तथा गल्प-लेखक हैं। उदाहरण- स्मर लों समर कर हार महादेव मानो, कामिनी की काया माहि भाग के लुकायो है ; पकरि न पावें या ते कुचन ह रूप है के चंदन के भेष भूरी भसम लगायो है चंद नख-छत भयो, निवली त्रिशूल कीन्हों, नागन की माल काल अलक बनायो है। गंगा को वटोरि के त्रिवेणी कीन्हि नैनन मो, सरन अनंग की ही साँचो शिव श्रायो है। मुख सुखमा-सागर अगम नाविक नयन नवीन 3; बूड़त बार बचाव बिधि तिल सुदीप रच दीन ।