पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद ४.pdf/५९९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
५९९
५९९
मिश्रबंधु

सं० १६७८ चक्र मिश्रबंधु-विनोद . 9 उदाहरण- कबहुँ निरखि भरि नैन चाल लचकति सरिता की लखति बजावति बेनु झुकी मनमोहन झाँकी। बारिद देखौं श्याम, श्याम हरि-मूरति देखौं चमकति चपला चपल चोर चित राधा लेखौं । जहाँ जाउँ उनको लखौं कोऊ ठाव न शेष है कुंज करील कदंब हरि रोमन रोम प्रवेश है। नाम--(४४१३ ) कृष्णदत्त शास्त्री, काव्यतीर्थ । जन्म-काल--सं० १६५७ (श्रावण-कृष्ण १२)। कविता-काल-सं० १६७८ । ग्रंथ--(१) कीचक-वध, (२) पद्य-पंचाशिका, (३) दोहा- वली। कुछ संस्कृत के भी ग्रंथ रचे हैं। विवरण -- श्राप तिजारा-निवासी जयरामदत्तजी के पुत्र हैं। श्रापके स्फुट लेख पत्र-पत्रिकाओं में भी प्रकाशित हुआ करते हैं । नाम-(४४१४) खूबचंद सोधिया । ग्रंथ-सफल गृहस्थ । विवरण-पं० दरयावसिंह सोधिया के पुत्र तथा हिंदी के होनहार लेखक। नाम--( ४४१५ ) गिरिजादयाल 'गिरीश' वैद्यशास्त्री। जन्य-काल-सं० १९५३ । ग्रंथ-(.) विधवा-विलाप, (२) स्फुट छंद । विवरण-- --श्राप श्रीवास्तव कायस्थ अवध चीफ़-कोर्ट में नौकर हैं श्रापका जन्म बिसवाँ के निकट सरैयाँ में हुआ उदाहरण- अंबुधि में रूप के विराजे है वहिनं हैं कि विद्म के पुंज पै सुनील मणि प्यारे हैं; 1