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मिश्रबंधु

सं० १९७१ चक्र उत्तर नतन विवरण-श्राप महामहोपाध्याय डॉक्टर गंगानाथ झा के पुत्र तथा प्रयाग-विश्वविद्यालय के रोडर हैं। नाम-( ४४३१ ) जटाधरप्रसाद शर्मा विकल', ग्राम बाजितपुर, जिला मुजफ्फरपुर । जन्म-काल-सं० १९६२ । थ-(१) योगमाया, (२) धर्मवती, (३) अहल्या, (५) दमयंती और सीता, (५) प्रेम-प्रमोद, (६) कृपक-नंदन, (७) पावस-बहार, (८) शिक्षक-नंदन, (६) शिव-शिवा । विवरण-यह पं० योगेश्वर मिश्र के पुत्र हैं। सं० १९७६ से इनकी रचनाएँ सामयिक पन्न-पत्रिकाओं में प्रकट होती रही हैं। उदाहरण- प्रथम मिलन चुंबन की सुस्मृति हृत्पट से हट जाने दे; प्रथम प्यार का स्त्रोत उमड़कर मिट्टी में मिल जाने दे। प्रथम रश्मि की प्रखर प्रभा पत्तों पर अाज विखरने दे; सुक्तामय भंगार साजकर उनको आज विचरने दे। पट-परिवर्तन का सुखमय यह सुंदर साज सजाने दे प्रियतम के सौंदर्य - स्रोत में श्ररे मुझे बह जाने दे । भूलो उसका गान पवन छोड़ो यह बीन धजाना। भूलो उसका प्रेम-भवन, छोड़ो यों जाना-माना । छोड़ो री कलियो तुम भी यों बार-शर मुसकाना; भूलो री अलियो तुम भी वरु प्रेम-पराग-खजाना । भूल रहा हूँ, छेड़ो मत, सोने दो, नहीं जगाना : चाह रहा हूँ यों ही उनके चरणों पर वलि जाना । नाम--(४४३२) दूधनाथ उपाध्याय । ग्रंथ-गोरक्षा पर आपकी पुस्तकें हैं। नाम--(४४३३) धीरेंद्र वर्मा (कायस्थ), प्रयाग । 3 ।