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मिश्रबंधु

सं० १९८०चक उत्तर नूतन साहित्यानुरागी पुरुष हैं । हिंदी के अतिरिक्त इन्होंने संस्कृत तथा अँगरेजी में भी ज्ञान प्राप्त किया है। कुछ समय से 'राम' नामक पाक्षिक पत्र का संपादन करते हैं। नाम-(४४५६ ) रामभरोसेसिंह, फुफवार, कानपुर । जन्स-काल-सं० १९३७ । रचना-काल-..--सं० १९८० विवरण-श्राप स्थानीय आनरेरी मैजिस्ट्रेट और एक प्रतिष्टित जमींदार हैं । स्फुट काव्य करते हैं। नाम--(४४६०) रामलाल । जन्म-काल-सं० १९४७ । रचना-काल-सं० १९८० ग्रंथस्फुट समस्या-पूर्ति के छंद । विवरण-गोसाईगंज, जिला फैजाबाद के अगियार वैश्य विंदादीन के पुत्र हैं । कविता अच्छी है। उदाहरण- संकुल लतान लहरान लागे औरै भौति , औरै रग - ढंगन उमंगन यहार है; बनन में, वागन में, गाछ परिधानन में , बरन वरन साज साजत सिंगार है। पातन प्रसूनन के भारन ते झुकि - भूमि , स्वागत करत जाँहि पावत अगार है; 'रामलाल' चकित चकोर पेखै बार - बार , फूल ये पलास से कि भारत श्रृंगार है। नाम-(४४६१) रामानंद शर्मा, पुनास, पूसा दरभंगा । जन्म-काल-सं. १९१४ । रचना-काल-लगभग सं० १९८० ,