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मिश्रबंधु

मिश्रबंधु-विनोद सं. १९ चरणों की ही धूल मिले, है चाह नहीं पहनें हम ताज ! कर विश्वास, न किसी तरह, पद-मर्दित होने देंगे लाज !! हमें न विचलित कर सकते हैं, विघ्नों के विक्षिप्त प्रहार । बड़वानल के दाह, उदधि-गर्जन, तूफान प्रलय हुंकार !! कह दे-~"जा, हो सफल ध्येय में, ले, देती हूँ स्वीय कुठार ! अाज हमारे बच्चों की भी, साहस-शक्ति लखे संसार !!" नाम--( ४४६८) गोपीनाथ वर्मा, ग्राम ससराम, जिला शाहाबाद (आरा), प्रांत बिहार। जन्म-काल-सं०११५६ । रखना-काल-सं० १९८१ ग्रंथ साहित्यिक तथा वैज्ञानिक स्फुट लेख । विवरण-ससराम से छ मील के नंतर पर 'नाद' नाम की बस्ती है। यही वर्माजी का जन्म स्थान है। आप मुंशी कुलदीप- सहायजी के पुत्र हैं। हिंदी में लेख प्रादि लिखने की रुचि आपको विद्यार्थी-दशा से ही है, और उस अवस्था में ही आप 'पाटलीपुत्र', 'बंगवासी' आदि साप्ताहिक पत्रों में संवाद धादि भेजा करते थे, किंतु सं० १९५६ में मैट्रिक्युलेशन-परीक्षा में उत्तीर्ण होकर जब जमशेदपुर-ताता-कंपनी के जेनरल ऑफिस में काम करने लगे, उस समय से यह साहित्यिक सेवा विशेष रूप से करते श्राए हैं । जमशेदपुर में श्रीतिलक-पुस्तकालय की स्थापना का श्रेय बहुत अंशो में आप ही को है। इस समय वर्माजी ताता-कंपनी के स्कूल में अध्यापक हैं। श्राप 'भारतमित्र', "हिंदू-संसार', 'स्वतंत्र', 'श्रीकृषण-संदेस' आदि दैनिक तथा साप्ताहिक पत्रों के संवाददाता तथा लेखक भी हैं। नाम-~(४४६६) गंगाप्रसादसिंह, काशी। जन्म-काल-सं० १९१६ ।