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मिश्रबंधु

० १२४ उत्तर नूतन ग्रंथ-(१) फाँसी, (२) परख, (३) वातायन, (४) पर्छ । विवरण-गुरुकुल में प्रारंभिक शिक्षा पाई। असहयोग श्रादि में कुछ कार्य किया। परख पर हिंदोस्तानी एकेडेमी से पुरस्कार पाया। इस नाम के भ्रम से एक प्राचीन कवि जैनेंद्र किशोर परख के लेखक तथा उपहार भोका इस ग्रंथ में अन्यत्र लिखे जा चुके हैं, और वह भाग छप चुका है, किंतु परख के वास्तविक लेखक आप ही हैं। नाम-(४५०७) उपेंद्रनाथ मिश्र शीतलपुर एकमा, (सारन)। जन्म-काल-सं० १९५६ । उदाहरणा- शरद्-वर्णन यहाँ आज क्या हा! शरत पूर्णिमा है; उसी की मनोमोहिनी सत् शरत् शर्वरी सुंदरी - सी बनी है सुधा - धाम को पा सुधा में सनी है। चकोरी लखो चंचु है चटपटाती कली कैरवी नाज से मुस्किराती। महामोद का राज्य मानो सु छाया; तमस्तोम का सत्व संहार पाया। मधून्मत्त गाते अली झूमते हैं। खिले पुष्प बालास्थ को चूमते हैं। कहीं मुड के • मुंड आनंद छाके; बने कैरवी . कामिनी केश बाँके। अभै है कहीं गंध की लूट उच्चको नहीं चाँदनी.. रैन माने। समा है।

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