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मिश्रबंधु

मिश्नपंधु-विनोद सं० १९८४ च. पमिनी कौमुदी-मोद-माती, सती को नहीं लंपटी अद्धि भाती। कहीं चाँदनी-चक चक्र-माला 3 हुई चक्रिता पा रही है कसाला। नाम-(४५०८)गंगासिंह एच० एच० महाराजा चरखारी।' अंथ-तरंग-मंगल ( १९६४), (प्र० ० रि०)। विवरण-और भी कई ग्रंथ बनाए हैं। आपको हिंदी कविता से विशेष प्रेम था। नाम--(४५०६ ) मदनमोहन मिहिर । जन्म-काल-सं० १९५६ । ग्रंथ-~(१) निसर्ग-गीत, (२) जीवन-गीत, (३) प्रेम गीत, (४) प्रकृति-कौतुक-वंदना, (५) खोज । विवरण-श्राप नंदूलाल मिहिर के पुत्र हैं । उदाहरण- हे मेरे श्राराध्य देव, कैसी है तेरी माया । जब-जब तुमसे मिलने आई, कभी न तुमको पाया। नेत्र थके प्रभु-बाट जोहते, अब तो अश्रु, निकलता। दयासिंधु हो, दया न ाती सुनकर मेरी दीन पुकार; अच्छा प्रियतम, तुम्ही बता दो, कैसे करूँ तुम्हें मैं प्यार ? नाम-(४५१०) मंगलप्रसाद विश्वकर्मा । जन्स-काल-सं० १९५६ अंथ-(१) शेरसिंह, (२) उत्सर्ग, (३) रोशनधारा, (४} स्फुट कविता । (खड़ी बोली की रचना करते हैं)। नाम-(४५१) मंगलांप्रसादसिंह, पोखरपुर परसा (सारन), बिहार-प्रांत। जन्म-काल--सं. १९६४।