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मिश्रबंधु

सं० १९८४ चक्र उत्तर नूतन ६२७ रचना-काल-सं० १९८४ । अंथ-(9) बिहार के नवयुवक-हृदय (दो भाग), (२) विहार के प्राचीन हिंदी-लेखक और कवि । विवरण-श्राप विहार-प्रांत के एक काव्यानुरागी एवं साहित्यो- त्साही नवयुवक लेखक हैं । श्राप ठाकुर रामबहादुरसिंहजी के पुत्र हैं । हम लोगों को इस भाग की रचना में प्रापसे विशेष सहायता मिली है । एतदर्थ श्रापको धन्यवाद है। नाम-(४५१२) रामअवतार शर्मा खरोधी, भवानपुर (पलामू)। जन्म-काल-सं० १९५६ । अंथ-(१) भारतवर्ष का इतिहास, (२) अनुवाद-प्रमाकर, (३) शौडिक-जाति का इतिहास । उदाहरण- विद्या का वर्णन है अहर्निश इस जगत में ज्योति जिसकी जागती; देखते जिसकी प्रभा हिय की नमी है भागती। चात जिसकी मूक हो लाचार पशुता मानती देख जिसको साधुता शठता न हठता ठानती। तेज जिसका है निराला देखकर जिसकी लपट है मुलसती मूर्खता मिटते मनुज के छल-कपट । जो अलौकिक वस्तु है, पै था धरा पै शोभती देव-किन्नर - नाग - नर - जड़ - प्राज्ञ • मन को मोहती । व्योम • भू - पाताल में जिसकी छटाएँ सोहत्ती; विश्व की सारी कलाएँ बाट जिसकी जोहती। नाम- -(४५१३) रामप्रताप शुक्ल विशारद । जन्म-काल-सं० १९६४।