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मिश्रबंधु

मिश्रबंधु-विनोद सं. १९८५ चक्र . नाम-(४५३२) बलदेवप्रसाद । जन्म-काल-लं. १९६६ । रचना-काल-सं० १९८५ ग्रंथ-स्फुट लेख और छंद। विवरण-सकरकंद गली, काशी निवासी। इनके पिता-पितामह संस्कृत के प्रसिद्ध पंडित तथा वैद्य थे। उदाहरण- री चल उस जगती के अंचल, जहाँ सत्य संसार न हो जहाँ हृदय के रंग-मंच पर, चिंता नृत्य अपार न हो। चल-चल उस जगती के अंचल, जहाँ प्रेम-व्यापार न हो। जहाँ बनावट भीगी चितवन का, दिल पर अाभार न हो। दिन-मणि-स्पंदन के पहियों से, पीसे जाते तारे रोज किरण चूर्ण क्या तुम उनकी हो, पिसते जो कि विचारे रोज । धूलि कणों को साथ लिए हो, देती हो इस भौति संवोध पद-दलितों से प्रेम हृदय-भर, मिलता झट संसार अबोध । , नास-(४५३३) महादेवी वर्मा, प्रयाग-निवासिनी। जन्म-काल-सं० १९६४ । रचना-काल-सं० १९८५ । ग्रंथ-(१) नीहार, (२) रश्मि । ( दोनो इनके पद्यों के संग्रह हैं)। विवरण-यह रहस्यवादास्मिकारचना करती हैं। अच्छी कवयित्री हैं। नाम-(४५३४) माताप्रसाद त्रिपाठी 'महेश' लश्कर, ग्वालियर निवासी। जन्म-काल-सं० १९६९ । रचना-काल-सं० १९८५ मंथ-स्फुट रचना। .