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मिश्रबंधु

२४३ मिमधु विनोद सं. १९०८ जन्म-काल-सं० १९७०। 1 रचना-काल-सं० ११८८। ग्रंथ- स्फुट रचना। उदाहरण- किसके हृदय-रक से रंजित संध्या की किरणे छविमान । चमक-चमककर चमकाती हैं जीवन के वे सकरण गान। जिनमें हैं उदास जगती के छिपे हुए फीके गार जिनके एक-एक स्वर से सिसका करती हैं सुकुमारः। नाम---( १५७० ) दिनेशनंदिनी चोरड्या, नागपुर। जन्म-काल-जगमग सं० १९७३ । रचना-काल-सं० १९८८ विवरण---आपको हिंदी गद्य-काव्य लिखने का अच्छा अभ्यास है। सामयिक पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रहती हैं । श्राप प्रोफेसर श्यामसुंदरलाल चोरड्या की पुत्री हैं। नास-(४५७१ ) नाथूलाल त्रिवेदी। अन्न-काल-सं० १९६६ । रचना-काल-सं. १९८८। ग्रंथ-~-प्रेम-पचीसी (अमुहित)। विवरण-जीरापुर, इंदौर-निवासी। नाम-( ४५७२ ) पुरुषोत्तमलाल भार्गव एम० ए०, शास्त्री, लखनऊ-निवासी। जन्म-काल-लगभग सं० १९६५। रचना-काल-सं.१९८८ विवरण-बाबू मुकुटविहारी मार्गव के पुत्र । गद्य-पद्यकार ।