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मिश्रबंधु

उचर नूतनः .' वह मधु-प्रभातु की मादक संध्या, वह चाँदी-सी उजली रात: मह किरणों का जान मनोहर, वह सोने का मधुरं प्रभात जाने कहाँ गए भज्ञातं । नाम--( ४५८० ) हरिकृष्ण प्रेमी, अजमेर। रचना-काल--सं०१६८८ । ग्रंथ-जादूगरनी। विवरण-खड़ी बोली के कवि । -संवत् १६८९ नाम--(४५८१) गिरीश ओमा 'सुदर'। जन्मकाल-सं०१९६४ । रचना-काल-सं०१६म । ग्रंथ---स्फुट छंद तथा लेख । विवरण-मिश्रौलिया बांसडीह के निकट जिला बलिया देवीशरण श्रोमा के पुत्र । गद्य-पद्य-लेखक हैं। नाम-(४५८२ ) भगवतीचरण वर्मा, प्रयाग। रचना-काल-सं० १९८६ । ग्रंथ--मधुकण (पध)। विवरण-खड़ी बोली. में रचना है। नाम-(४५८३ ) श्यामबिहारीताल विरागी। जन्म-काल-सं० १९७१। रचनाकाल-सं० १९E | अंथ-अभी अपूर्ण हैं। विवरण बाँसढीह, बलिया के मु. कृष्णकुमारलाल के कनिक मुन्न । प्रयाग के किसी कॉलेज में मध्यान्द कर रहे हैं। सिंधी के होन- हार गय-पथ-लेखक हैं। .