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मिश्रबंधु

६० मिश्रबंधु-विनोद विवरण-भाषा प्रौढ़ है। नाम--( ) गिरिधर । ग्रंथ-पंचभेद पूजा (जैन-धर्म)। रचना-काल-सं० १८०० । नास-( ५ ) गोकुलचंद्र । ग्रंथ-हरिवंश भाषा। रचना-काल-सं० १८००। विवरण-भाषा साधारण है। आप जैन-धर्म के अनुयायी थे। ) जदुनाथ माट, राज्य करौली। रचना-काल-सं० १८०० के लगभग । अंध-वृत्त-विलास। विवरण-यह कवि महाशय चंदबरदाई के वंशज थे, ऐसा कहा जाता है। आपके पूर्वज मयाराम, दामोदर, नंदराम, थानसिंह तथा धरणीधर थे । धरणीधर राजा गोपालसिंह, (करौली-नरेश) के अाश्रित कवि थे । उक्त ग्रंथ इन्होंने करौली-नरेश राजा गोपालसिंह (सं० १७८५-१८१४ ) की प्रशंसा में बनाया । यह एक पिंगल-ग्रंथ । यह कवि हमें नागरी-प्रचारिणी पत्रिका ( भाग ५, अंक २, सं० १९८७) से प्राप्त हुए हैं। उदाहरण-- सही मधवान महिपालु श्रीकुंवरपालु, जाको जसु पूरन प्रसिद्ध देस-देस भौ; चौरधि हिमवान सानुमान, सीतभान के प्रमान दीप दीपनि में बेस भौ। भूधर धरन जदुवंस अाभरन कलि, करन ज्यौं दीन दुख हरन हमेस भौ;