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मिश्रबंधु

श्रेष्ठ साहित्य दुलारे-दोहावली (द्वितीयावृत्ति) (लेखक-सुधा-संपादक श्रीदुलारेलाल भार्गव ) हिंदी-संसार में महाकवि बिहारीलाल की कितनी ख्याति है, यह किसी हिंदी-भाषा के जानकार से छिपा नहीं। कितने ही विद्वान समालोचकों का मत है कि वह हिंदी के सर्वश्रेष्ठ कलाकार है। उनके बाद श्राज तक किसी ने भी वैसा चमत्कार नहीं पैदा किया था, परंतु यह फलंक अब दूर होने को है । अभी कुछ ही विद्वान् ऐसी सम्मति रखते हैं कि सुधा-संपादक कविवर श्रीदुलारे- लालजी भार्गव के दोहे महाकवि बिहारीलाल के दोहों की टकर के होते. हैं, और बाज़-बाज़ न वसूरती में बढ़ भी गए हैं; परंतु यह निस्संदेह कहा जा सकता है कि अधिर भविष्य से, नय कविवर श्रीदुलारेलालजी भार्गव के भी कई सौ ऐसे ही दोहे प्रकाशित हो जायेंगे, लोगों को उनकी श्रेष्ठता का लोहा मानना होगा। कहा जाता है, ब्रजभाषा में अब पहले की-सी कविता नहीं लिखी जाती, परंतु 'दुलारे-दोहावली' ने इस कथन को बिलकुल भ्रम साबित कर दिया है। हिंदी के वर्तमान पदियों और समालोचकों में जो अग्रगण्य माने जाते हैं, उन्होंने मुक्त ईठ से स्वीकार किया है कि कविवर श्रीदुलारेलाल वर्तमान समय में ब्रजमापा के सर्वश्रेष्ठ कति हैं, और उनकी दोहावली ब्रजभापा-साहित्य की वर्तमान सर्वो- तम कृति । यदि आपको व्रजमापा को कोसतकांत पदावली, भंगार . .